Ma Chandi Devi Temple: Ma Chandi Devi Temple History
Ma Chandi Devi Temple: Ma Chandi Devi Temple History

मां चंडी देवी मंदिर हरिद्वार

हरिद्वार में स्थित दुर्गा मंदिरों में सबसे प्रसिद्ध मंदिर मां चंडी देवी की मंदिर है|मां चंडी देवी की मंदिर जिस  पर्वत पर विराजमान है उस पर्वत को नील पर्वत का जाता है| 

अगर आप हरिद्वार घूमने आए हैं तो अगर आप चंडी देवी नहीं गए तो यह आप की सबसे बड़ी भूल होगी चंडी देवी मंदिर हरिद्वार की बहुत ही खूबसूरत मंदिरों में से एक है यहां लोग बहुत दूर-दूर से आते हैं|

Ma Chandi Devi Temple | Ma Chandi Devi Temple History
Chandi Devi Mandir Haridwar
मां चंडी देवी में जाने के लिए उड़न खटोला की उचित व्यवस्था है एवं पैदल मार्ग भी है अगर आप पैदल मार्ग से जाते हैं तो आप एक पर्वतारोही की भूमिका भी निभा सकते हैं और एक मनोरंजक दृश्य का अवलोकन भी कर सकते हैं 

दूसरा मार्ग उड़न खटोला है अगर आप उड़न खटोला से जाते हैं तो आप जाते वक्त  हरिद्वार में स्थित मंदिरों एवं मां गंगा का आनंद ऊंचाई से जाते हुए ले सकते हैं|

मंदिर में पहुंचने के बाद हरिद्वार का सुंदर नजारा देखने को मिलता है मां चंडी देवी हरिद्वार की ऊंचाई पर होने के कारण वहां से आप संपूर्ण हरिद्वार का लुफ्त उठा सकते हैं एवं आपके मन मस्तिष्क पर नहीं ऊर्जा का संचार आपको प्राप्त होगा|इसके बाद आपको मां चंडी देवी की कथा या कहानी विस्तार से बताता हू|

मां चंडी देवी मंदिर का इतिहास

Ma Chandi Devi Temple | Ma Chandi Devi Temple History
Chandi Devi Story Ropeway
मां चंडी देवी की कथा सतयुग से प्रारंभ होती है जब शुंभ निशुंभ और महिषासुर ने इस धरती पर अत्यधिक प्रलय  मचा रखी थी उस समय देवता और इन असुरों के बीच भयानक युद्ध हुआ लेकिन देवता इनका वध करने में सफल नहीं हो सके|उसके पश्चात सारे देवता  भगवान भोलेनाथ के पास कैलाश पहुंचे उन्होंने भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना की की  इन दैत्यों  को किस तरह परास्त किया जाए कृपया इसका कोई उपाय बताएं|
उसके बाद भगवान भोलेनाथ और देवताओं के तेज से एक शक्ति का संचार हुआ उस शक्ति के संचार से एक दिव्य तेज  से मां चंडी देवी ने अवतार लिया और उसके बाद चंडी रूप धारण करके भगवान भोलेनाथ से कहा कि मुझे किस उद्देश्य के कारण पुकारा गया है 
फिर भगवान भोलेनाथ ने विस्तार से शुंभ निशुंभ और महिषासुर  द्वारा किया गया अत्याचार मां देवी को सुनाया तत्पश्चात देवी को आज्ञा दी कि तुम जाओ और इन असुरों का संहार करो|
यह सुनते ही मां चंडी देवी ने भोलेनाथ से आज्ञा ली और असुरों का वध करने के लिए कैलाश से चली गई तत्पश्चात शुंभ निशुंभ दोनों दैत्य नील पर्वत में छिपे हुए थे 
उनके साथ युद्ध प्रारंभ किया शुंभ निशुंभ और मां चंडी देवी के बीच भयानक युद्ध हुआ लेकिन माता उन्हें  परास्त नहीं कर सकी उसके बाद माता ने खम्भ  अवतार लेकर दोनों का सहार कर दिया|
 उसके बाद माता ने सभी देवताओं को वर मांगने को कहा देवताओं ने मां चंडी देवी से भक्तों के कल्याण हेतु वर मांगा और कहा कि हे मां आप इसी नील पर्वत पर विराजमान हो जाओ और सभी भक्तों का कष्ट दूर करो जो भी भक्त तुम्हारे पास मनोकामना लेकर आए उसकी मनोकामना पूर्ण करना देवताओं ने ऐसा वर मांगा और अपने देवलोक को चले गए और मांता चंडी रूप में इसी नील पर्वत पर विराजमान हो गई तब से आज तक माता सभी के कष्टों को दूर करते आ रही है|
 उसके बाद ही इस मंदिर के महत्व को देखते हुए यहां नवरात्रों में देश-विदेश से भक्तों की भीड़ आती रहती है और माता रानी उन सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते आ रही है| माता रानी पर जो भी भक्त श्रद्धा भाव से रक्त पुष्प अर्पित करता है| 
एवं नवरात्रों में माता का पाठ करवाता है माता रानी उन सभी भक्तों पर विशेष कृपा दृष्टि बनाए रखती है| यह माता की शक्ति ही है जो की किसी भी व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण हुए बिना यहां से लौटा हो माता रानी की कृपा हमेशा भक्तों पर बनी रहे|

मां चंडी देवी मंदिर का जीर्णोद्धार

आठवीं शताब्दी में मां चंडी देवी का जीर्णोद्धार जगतगुरू आदि शंकराचार्य जी द्वारा विधिवत रूप से कराया गया था उसके बाद वर्ष 1872 में कश्मीर के राजा सुजीत सिंह ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था|

मां चंडी देवी आने वाले यात्रियों के लिए मार्ग

हरिद्वार रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन से मां चंडी देवी मंदिर लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर है इसके अलावा श्रद्धालु निजी वाहनों से भी यहां पर आ सकते हैं अन्यथा रेलवे स्टेशन या बस स्टेशन से बैटरी रिक्शा ऑटो रिक्शा मां चंडी देवी  पर पहुंच सकते हैं
मां चंडी देवी के दरबार पर पहुंचने के लिए आपको पैदल मार्ग की जगह उड़न खटोला  का भी लाभ उठा सकते हैं|
Chandi Devi Mandir Haridwar Map

Where To Travel in October USA 2023