Best Tourist Places In Champawat |
Poornagiri Temple पूर्णागिरि मंदिर
Meetha Reetha Shahib मीठा रीठा साहिब
मीठा रीठा साहिब टनकपुर से 166 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है कहा जाता है कि यहां पर गुरु नानक देव और नाथ योगी का आपस में संवाद हुआ था जिसे उन्होंने मानवतावादी सेवा के मार्ग में सक्रिय रुप से लाने एवं भगवान का नाम स्मरण करवाया
यह कहानी जन्मसखियों में उल्लेखनीय नहीं है परंतु यहां के स्थानीय स्तर पर एक विश्वास है कि गुरु नानक देव जी ने यहां पर रीठे के फलों को अपनी शक्ति के माध्यम से रीठे के फलों को मीठा में परिवर्तित कर दिया था क्योंकि रीठे के फल बहुत तीखे होते हैं यहां पर जो भी तीर्थयात्री आते हैं
उन सभी को प्रसाद के रूप में रीठे का रस दिया जाता है गुरुद्वारे से 10 किलोमीटर की दूरी पर नानक बगीचा है यहां पर यह फल उगाए जाते हैं और फिर उन्हीं को एकत्रित करके उनका रस निकला जाता है यहां आने वाले पर्यटकों के लिए यहां का सबसे निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर है
Pancheshwar Mahadev Temple पंचेश्वर महादेव मंदिर
Best Tourist Places In Champawat |
अब आपको पंचेश्वर महादेव मंदिर के बारे में जानकारी देते हैं पंचेश्वर महादेव मंदिर चंपावत जिले के लोहाघाट से लगभग 38 किलोमीटर की दूरी पर काली एवं सरयू नदी के संगम पर स्थित है इस मंदिर में श्रद्धालु अधिकतर चैत्र महीने एवं नवरात्रि महीने में ज्यादा आते हैं यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है
इस मंदिर में भगवान शिव की बहुत सुंदर मूर्ति है यहां पर नदी के संगम में स्नान इत्यादि करने श्रद्धालु आते रहते हैं पंचेश्वर मंदिर के चारों तरफ सुंदरवन है यहां के लोग इस मंदिर में भगवान शिव को भेंट के रूप में घंटियाँ एवं दूध अर्पित करते हैं यह स्थान नदी के किनारे होने के कारण यहां पर रिवर राफ्टिंग करने पर्यटक आते रहते हैं यहां पर यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा समय मार्च से अक्टूबर के बीच का है
यहां के स्थानीय लोग मानते हैं कि यहां पर भगवान शिव ने गांव के पशुओं की रक्षा की थी यहां के लोग पंचेश्वर महादेव को श्रद्धा भक्ति से पूजते हैं
Adiguru Gorakhnath’s fumigation आदिगुरु गोरखनाथ की धूनी
चंपावत से लगभग 33 किलोमीटर की दूरी पर आदि गुरु गोरखनाथ की धूनी स्थित है कहा जाता है कि यह धुनि सतयुग से लगातार प्रज्वलित है चनामक स्थान से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पैदल चलने के बाद इस स्थान पर पहुंचा जा सकता है यहां पर प्राकृतिक सौंदर्य एवं सुन्दर हरे भरे पहाड़ देखने को मिलेंगे
Banashur fort बाणासुर का किला
बाणासुर के किले को यहां के स्थानीय लोग बाणाकोट भी कहते हैं चंपावत जिले के लोहाघाट नगर से लगभग यहां की दूरी 6 किलोमीटर है कर्णकरायत नामक स्थान से 1 किलोमीटर ऊपर पहाड़ की चढ़ाई करने के बाद पहाड़ की चोटी पर यह किला स्थित है
कहा जाता है कि यह किला बाणासुर ने अपने लिए बनाया था जब भगवान विष्णु बाणासुर का वध करने के लिए गए तो भगवान विष्णु बाणासुर का वध करने में असमर्थ रहे उसके बाद महाकाली ने प्रकट होकर बाणासुर का वध किया था कहा जाता है कि लोहा नदी उसी दैत्य के लहू से निकली थी इसी कारण वहां की मिट्टी लाल एवं काली है
इस किले की विशेषता है कि यहां से चारों तरफ का नजारा बिल्कुल साफ साफ दिखाई देता है यहां पर पर्यटन विभाग द्वारा एक दूरबीन भी लगाया गया है जिससे यहां से चारों तरफ के दृश्य और सुंदर दिखते हैं यह किला भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है किले के पूर्व की दिशा और उत्तर की दिशा में हिमालय पर्वत की सुंदर श्रृंखलाएं दिखाई देती है पर्यटकों के लिए यह स्थान घूमने के लिए बहुत सुन्दर है