Basanti Mata Mandir | Basanti Mata Mandir ki Kahani
गढ़वाल Uttrakhand में हिमालय पर्वतों के तल में बसा Raiwala, Rishikesh (Yoga Capital of World) मैं यह मंदिर स्थित है| यह मनोकामना सिद्ध स्थल है| कुछ दंत कथाओं पर आधारित यह मंदिरअपनी विशेषता को दर्शाता है|
Basanti Mata Mandir Ki Kahani
एक दिन गांव का एक व्यक्ति Ganga के उस पार से गांव की तरफ आ रहा था| वह व्यक्ति Ganga का वेग देखकर वहीं पर रुक गया और सोचने लगा कि मैं Ganga कैसे पार करूंगा |
तभी वहां पर एक कन्या (Girl) प्रकट हुई| छोटी सी कन्या ने बोला कि मुझे Ganga पार करा दो ऐसे में वह व्यक्ति बोला की बेटी मैं कैसे आपको Ganga पार करा सकता हूं
Ganga की लहरें तो बहुत ऊंची ऊंची है जिसमें छोटी कन्या ने बोला कि आप मुझे अपने कंधे में बैठाकर नदी पार करा सकते हो ऐसे में गांव के व्यक्ति ने सोचा कि मुझे छोटी सी कन्या की मदद करनी चाहिए |
ऐसे में गांव की व्यक्ति ने छोटी कन्या को अपने कंधे पर जैसे ही बैठाया और आगे बढ़ने लगा वैसे ही गंगा का वेग कम होने लगा साथ ही छोटी कन्या (Girl) का वजन भी हल्का हो गया वह व्यक्ति उस कन्या को लेकर आगे की ओर बढ़ने लगा |
जैसे जैसे वह आगे बढ़ता गया गंगा मां ने अपना वेग कम कर लिया और वह व्यक्ति उस कन्या को लेकर धीरे-धीरे गंगा के उस पार से गांव की तरफ आ पहुंचा|
जैसे ही उस व्यक्ति ने उस कन्या को नीचे उतारने की कोशिश की वैसे ही वह कन्या बोली कि मुझे नीचे मत उतारना मुझे वहां पर नीचे उतारना
जहां पर तुम्हें ऐसा लगे कि तुम मुझे आगे नहीं ले जा सकते वह व्यक्ति उस कन्या के कहने पर उस कन्या को लेकर आगे बढ़ने लगा चलते-चलते थोड़ी दूर आगे जाकर
उस कन्या का वजन बहुत ज्यादा बढ़ गया उस व्यक्ति ने उस कन्या के कहने पर उस कन्या को जैसे ही नीचे उतारा वह कन्या अदृश्य हो गई|
इस घटना को देखकर वह व्यक्ति अचंभित हो गया और सोचने लगा कि यह घटना किस कारण मेरे साथ इस तरह से घटित हुई जिसके कारण उस व्यक्ति के हृदय में एक व्याकुलता छा गई और वही व्यक्ति इसी घटना को सोचते हुए अपने घर की तरफ चला गया|
Know More Importance of fasting on Shravan Monday
उसी रात उस व्यक्ति के सपने में वह छोटी कन्या आई औरअपना परिचय देते हुए वह बोली कि जिस स्थान पर तुमने मुझे उतारा था वहां पर मेरी सिद्ध पीठ बनाओ उसके बाद वह व्यक्ति इस घटना को लेकर एक साधु के पास गया और वहां जाकर उसने पूरी घटना का विवरण सुनाया|
साधु ने घटना का विवरण सुनते ही कहा कि हमें माता रानी के सिद्ध पीठ जरूर बनानी चाहिए इसके बाद पूरे गांव वालों ने उस स्थान को वासंती माता [Vasanti Mata] के नाम से पुकारा
और वहां जाकर पूजा-अर्चना की तब से लेकर आज तक मां बसंती माता सभी भक्तों के कष्ट का निवारण करती है और वहां जो भी व्यक्ति अपनी सच्ची भावना से जाता है उसकी मनोकामना पूर्ण करती है
वासंती माता मंदिर लोगों का मानना है कि जो भी अपनी बीमारी से संबंधित कितनी भी कठिन रोग हो बसंती माता माता उसके कष्ट को दूर कर देती है
वासंती माता मंदिर (Vasanti Mata Mandir) कितने बजे से कितने बजे तक खुलती है?
बसंती माता मंदिर खुलने का समय सुबह 6:00 से साईं 6:00 बजे तक पूरे साल है मेला अवधि मई से जून सुबह 5:00 बजे से 8:30 बजे तक है|
Mansa Devi Temple Haridwar ki Kahani | Mansa Devi Opening Time
Basanti Mata Mandir Ambala
लोग दर्शन के लिए दूर-दराज़ से आते हैं: 1854 में बसंती माता मंदिर की नींव रखी गई थी, और साल में एक बार जेठ के दशहरे पर मेला आयोजित होता है।
बब्याल में स्थित बसंती माता का मंदिर और उसके पास तालाब 169 साल पुराना है। इसकी स्थापना 1854 में स्व. सेठ लाला मिरीमल द्वारा की गई थी।
परंपरागत रूप से, हर साल जेठ के दशहरे पर मेला आयोजित होता है, जिसमें गांवों और शहरों से लोग आकर माता के दर्शन करते हैं और अपनी मनोकामनाएँ पूरी करने की कोशिश करते हैं। इस मेले के दौरान मंदिर में भागवत की भी पूजा की जाती है।
मंदिर में स्थित बसंती माता और शिवलिंग के दर्शन के लिए लोग दूर-दराज़ से आते हैं। यहां की परंपरा अनुसार, किसी व्यक्ति के अंतिम संस्कार के बाद मंदिर में पीपल के पेड़ पर पानी भरकर टांग दिया जाता है, जिसमें जौ, तिल, और शहद मिलाया जाता है।
इसके बाद, घड़े में कपड़ा बांधकर एक छोटा सा सुराख छोड़ दिया जाता है, और उसमें 10 दिन तक पानी भरा रहता है। 10वें दिन, हवन करके उसी मंदिर के पास तालाब में पिंडदान किया जाता है। इसके बाद, घड़ा निकाल लिया जाता है। मंदिर में धूप भी बरसात से जल रही है।
बसंती माता मंदिर ट्रस्ट के प्रधान बिल्लू राणा, सेक्रेटरी तेजपाल, कैशियर लोकेश और सदस्यों की देखरेख में ही इस मंदिर की देखभाल की जाती है। ट्रस्ट समय-समय पर मंदिर की मरम्मत करवाता है।