मनसा देवी मंदिर हरिद्वार
मनसा देवी मंदिर हरिद्वार

मनसा देवी मंदिर हरिद्वार

मनसा देवी मंदिर हरिद्वार | मां मनसा देवी की पौराणिक कथा
Mansa Devi Temple
मनसा देवी मंदिर हरिद्वार में सुप्रसिद्ध मंदिरों में से एक है यह मंदिर शिवालिक पहाड़ियों के बीच में  बीलवा नामक पहाड़ी पर स्थित है|
हरिद्वार से मनसा देवी मंदिर 3 किलोमीटर की दूरी पर है मनसा देवी के दर्शन करने के लिए सभी भक्त हर की पैड़ी में स्नान करने के बाद माता के दर्शन हेतु जाते हैं|
 मां मनसा देवी का मंदिर पहाड़ की चोटी पर होने के कारण अत्यंत सुंदर एवं मनमोहक दिखता है माता के दर्शन के लिए अगर आप पैदल यात्रा करते हैं तो आपको बहुत आनंद आएगा मां मनसा देवी के दर्शन के लिए उड़न खटोला से भी जाया जा सकता है 
अगर आप उड़न खटोला से यात्रा करके माता के दर्शन हेतु जाते हैं तो वह आप जाते वक्त हर की पौड़ी हरिद्वार एवं मां गंगा के दर्शन ऊंचाई से कर सकते हैं लेकिन वही आप पैदलयात्रा करते हैं तो यह यात्रा आपके जीवन की एक यादगार यात्रा होगी|
पैदल मार्ग से जाने पर आपको चारों तरफ का नजारा आराम से देखने को मिल जाएगा आप मनसा देवी के मार्ग में जाते हुए संपूर्ण हरिद्वार का अवलोकन कर सकते हैं 
जब आप मनसा देवी मंदिर पर पहुंच जाएंगे वह आपके लिए एक सुखद एहसास होगा|

मां मनसा देवी की पौराणिक कथा

मनसा देवी मंदिर हरिद्वार | मां मनसा देवी की पौराणिक कथा
मां मनसा देवी
मां मनसा देवी का प्रादुर्भाव भगवान शंकर के मस्तिक से हुआ जिसके कारण इन्हें मनसा देवी के नाम से जाना जाता है मां मनसा देवी भगवान शंकर की मानस पुत्री के रूप में पूजी जाती है 
महाभारत में वर्णित कथा के अनुसार मां मनसा देवी का जगत्कारु नाम है और मनसा देवी के पति का नाम भी मुनि जगत्कारु  तथा पुत्र का नाम आस्तिक है मां मनसा देवी को वासुकी नाग की बहन के रूप में पूजा की जाती है|मां मनसा देवी 52 शक्तिपीठों में से एक है|
कुछ पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार महर्षि कश्यप के मस्तिक से मां मनसा देवी का प्रादुर्भाव हुआ है कुछ ग्रंथों में वर्णित मिलता है कि वासुकी नाग द्वारा शिव से बहन की इच्छा हेतु वासुकी नाग भगवान शंकर से वर मांगते हैं कि मुझे एक बहन की प्राप्ति हो तब भगवान शंकर ने उन्हें मां मनसा देवी को बहन के रूप में  दे दिया था 
उसके बाद वासुकी नाग बहन को लेकर चले गए लेकिन वह विषकन्या का तेज सह ना सके और नाग लोक में जाकर उस कन्या का भरण पोषण करने के लिए तपस्वी हलाहल को सौंप दिया इसी मनसा नाम कन्या के लिए तपस्वी हलाहल ने अपने प्राण त्याग दिए थे
|ऐसा भी कहा जाता है कि जब भगवान शंकर ने समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल विष को ग्रहण किया था उस समय मां मनसा माता ने उनके प्राणों की रक्षा की थी मां मनसा देवी की पूजा विषकन्या के रूप में की जाती है|
मां शक्ति का एक रूप होने के कारण ही मां मनसा माता मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक मानी जाती है| मां मनसाअपने भक्तों की मन की इच्छा को जान जाती है इसीलिए भक्त अपनी मनोकामना को लेकर यहां आते हैं|

मनसा देवी आने वाले श्रद्धालुओं के लिए

बाय एयर

देहरादून जौलीग्रांट हवाई अड्डा हरिद्वार का निकटतम हवाई अड्डा जो 72 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जोली ग्रांट हवाई अड्डे से टैक्सी आसानी से उपलब्ध हो जाती है जौलीग्रांट हवाई अड्डा दैनिक उड़ानों के साथ दिल्ली से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है|

बाय ट्रेन

हरिद्वार रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख स्थलों के साथ रेल नेटवर्क के द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है

 माता मनसा देवी मंदिर का खुलने का समय?

माता मनसा देवी मंदिर का खुलने का समय सुबह 8:00 बजे से है और सायं 5:00 बजे कपाट बंद कर दिए जाते है|
Mansa Devi Temple Map

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